मौत का राज – एक अनसुलझा रहस्य
अशोक घर के अन्दर था लेकिन दूर से झरनों के पानी की आवाज वहाँ तक पहुच रही थी। उसने डायरी के पन्ने खोले और उसमे उसने वो पेन से लिखा ,
“मौत का राज”
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अशोक घर के अन्दर था लेकिन दूर से झरनों के पानी की आवाज वहाँ तक पहुच रही थी। उसने डायरी के पन्ने खोले और उसमे उसने वो पेन से लिखा ,
“मौत का राज”
रात का शायद दूसरा पहर चल रहा था। इतनी रात को न जाने कहा से एक गाड़ी बहोत ही ज्यादा स्पीड से आती हुई दिखाई दे रही थी। वो गाड़ी उस मोड़ से अब गुजरने वाली थी,की अचानक ब्रेअक्स के लगने की आवाज आयी।
“कर्र…. र….र…….।