नानी की कहानी- बचपन के संस्कार
सारी कहानिया यही सिखाती,
दुःख में ना टूट और सुख में ना इतरा।
संस्कार है ये बचपन के,
किस्से है नानी की कहानी के।
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सारी कहानिया यही सिखाती,
दुःख में ना टूट और सुख में ना इतरा।
संस्कार है ये बचपन के,
किस्से है नानी की कहानी के।
घर के बरामदे में,
जहा रखा था कुछ सामान।
वही पड़ा था धुल में,
वो संदूक पुराना सा।