फ़क़ीर | life of a devotee
मान मिले कभी अपमान सही,
करता सब का स्वीकार रे,
झोली मेरी सदा रहे खाली,
मन भर के लेकिन जीता रे।
मैं फ़क़ीर कहलाता रे…….
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मान मिले कभी अपमान सही,
करता सब का स्वीकार रे,
झोली मेरी सदा रहे खाली,
मन भर के लेकिन जीता रे।
मैं फ़क़ीर कहलाता रे…….