
मौत का राज – एक अनसुलझा रहस्य
अशोक घर के अन्दर था लेकिन दूर से झरनों के पानी की आवाज वहाँ तक पहुच रही थी। उसने डायरी के पन्ने खोले और उसमे उसने वो पेन से लिखा ,
“मौत का राज”
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अशोक घर के अन्दर था लेकिन दूर से झरनों के पानी की आवाज वहाँ तक पहुच रही थी। उसने डायरी के पन्ने खोले और उसमे उसने वो पेन से लिखा ,
“मौत का राज”
मौत का राज – एक अनसुलझा रहस्य आगे पढियेरात के अब ग्यारह बज चुके थे। भाई अब तो कोई बस मिलना मुश्किल हैं। अगर आज आखरी बस जरा लेट छुटी होगी तो….. शायद मिल जाएगी। वरना आज की रात मुझे यही बस स्टॉप पे बितानी पड़ेगी। ऐसे अपने मन में ही सोचकर नागेश ने अपनी बैग ठीक की और सामने के बेंच पे जाकर बैठ गया। लेकिन नागेश को कहा पता था की आज वो मौत का सफ़र करने वाला था।
आखरी बस | मौत का सफ़र आगे पढिये