आखरी बस | मौत का सफ़र

akhari bus

रात के अब ग्यारह बज चुके थे। भाई अब तो कोई बस मिलना मुश्किल हैं। अगर आज आखरी बस जरा लेट छुटी होगी तो….. शायद मिल जाएगी। वरना आज की रात मुझे यही बस स्टॉप पे बितानी पड़ेगी। ऐसे अपने मन में ही सोचकर नागेश ने अपनी बैग ठीक की और सामने के बेंच पे जाकर बैठ गया। लेकिन नागेश को कहा पता था की आज वो मौत का सफ़र करने वाला था।

नागेश एक बड़ा ही होनहार लड़का हैं। उसने अपने जॉब के बल पर गाव में जमींन लि और उसपे घर बनाया हैं। घरवाले हमेशा से उसके पीछे पड़े रहते की, शादी कर लो। लेकिन वो कहता हैं की, “जब तक मेरी पसंद की लड़की नहीं मिलेगी तब तक मैं शादी नहीं करूँगा” उसका कहना भी सही था। उसके दोस्तों की शादिया टूट चुकी थी या फिर उनमे झगडे चल रहे थे। इसलिए वो चाहता था की कोई ऐसी मिले जो उसको समझे।

नागेश ने अपनी घडी घुमाकर टाइम देखा। ११:३० बज चुके थे। अब उसने बस आने की आस खो दी। लेकिन तभी सामने से हॉर्न मारते हुए एक बस आयी।

“शुक्र हैं! बस आयी तो” नागेश ने अपने आप से कहा।

कंडक्टर ने दरवाजा खोला और नागेश बस के पीछे के दरवाजे से अन्दर गया। टिकट निकली और वो आराम से बैठ गया। लेकिन कंडक्टर ने कहा, “ये बस आज रास्ते में ही रुकेगी। आखरी स्टॉप पे नहीं जाएगी। आपको बीच से कुछ इन्तेजाम करना होगा। इसके इंजन में खराबी हैं। बहोत गरम हो चूका हैं।”

नागेश को और पसीना चालू हुआ। रात बढ़ रही थी लेकिन परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। जो होगा अब देखा जायेगा ये सोच के नागेश खिड़की से बाहर देखने लगा। ठंडी हवा अन्दर आ रही थी। काफी अच्छा लग रहा था।

उसने सामने बस में देखा तो ड्राईवर के पीछे कोई बैठा था। उसने खड़े होकर देखा तो वो एक औरत थी। इतनी रात को इस रास्ते पे कोई औरत को नागेश ने इसके पहले कभी देखा नही था। उसने सोचा के ड्राईवर या कंडक्टर का कोई रिश्तेदार होगा।

अब नागेश को खुद नहीं पता था की बस आगे जाकर कहा छोड़ने वाली थी।

अब १२ बज चुके थे। बस एक जगह कर्र रर…… आवाज कर के रुक गयी। ड्राईवर बोला, अब यहाँ से बस आगे नहीं जाएगी। तुम उतर कर अपना जाने का जुगाड़ देख लो।”

नागेश का घर आने को अभी कम से कम दस मील का फासला था। और रास्ते से घना जंगल। पैदल जाना खतरे से खाली नही था।

नागेश निचे उतरा। और रास्ते पे एक जगह जाके रुक गया। उसके पीछे वो औरत भी उतरी। नागेश ने उसको जैसे ही देखा वो तो बस उसको देखता ही रह गया। वो बला की खुबसूरत थी। वो एक लड़की थी। उसको देखकर नागेश अपनी घर जाने की परेशानी भूल गया। वो तो उसको देखता ही रह गया।

उसको भी कुछ ऐसी ही किसी खुबसूरत लड़की तलाश थी।

सामने जाकर नागेश ने उससे बात करना चालू किया, “आप इतनी रात को कहा जा रही है। ये बस वाले भी न? ऐसे बिच रास्ते में ही उतार दिया।”

उस लड़की ने एक बार नागेश को देखा। उसकी आँखे बहोत ही खुबसूरत थी। नागेश उसकी आँखों में खो गया। कुछ बोल पाता तभी उस लड़की ने कहा, “मेरा घर यहाँ से पास में हैं। पैदल जा सकते हैं। अगर आप चाहो तो मेरे घर चल सकते हो।”

नागेश ने सोचा एकदम से कोई उसको घर चलने के लिए कह रहा है। वो जरा संभल गया। उसने कहा, “नहीं मैं यही रुकता हु। कोई मिल जायेगा तो मैं अपने घर तक चला जाऊंगा। बेवजह आपको तकलीफ होगी।”

वो लड़की बोली, “अरे घबराओ मत। मैं और मेरी माँ रहती हैं घर में। अगर चलना हो तो चलो मेरे साथ।”

इतना विश्वास नागेश के लिए काफी था। वो उसके पीछे चल पड़ा।

घना जंगल और कच्चा रास्ता। नागेश ने चप्पल पहनी थी। उसको जल्दी चलना मुश्किल हो रहा था। काफी दूर जाने के बाद अब नागेश के पैर गीली मिटटी में फसने लगे थे। रास्ते में दोनों ने बिलकुल भी बात नहीं की। अचानक नागेश की चप्पल कीचड़ में अटक गयी। वो निकलने के लिए अपने मोबाइल का टोर्च चालू कर के निचे झुका। और चप्पल को हाँथ में लेकर खड़ा हुआ।

सामने भयंकर अँधेरा था। कुछ भी दिख नहीं रहा था। पीछे वो रास्ता जहा वो बस छोड़ कर आया था और ना ही वो लड़की जिसके पीछे वो यहाँ तक आया था। उसने आवाज लगानी चाही लेकिन आवाज क्या देता और किसको? वो नाम भी तो नहीं जानता था उस लड़की का।

“हे भगवान, अब मैं क्या करू? कहा जाऊ? नागेश खुद को कहने लगा।

नागेश ने अपने मोबाइल में देखा अब तो बैटरी भी नहीं हैं ज्यादा और नेटवर्क भी नहीं था उस जंगल में। लाइट लगाने के लिए काम आयेगी सोच कर उसने मोबाइल को बंद किया। लेकिन आजू बाजू देख के पता चल रहा था की कोई जंगली जानवर नजदीक आ रहे हैं। उसने चढने लायक एक पेड़ देख लिए और उसपर चढ़ कर बैठ गया। वहां उसको कोई खतरा नहीं था। अपनी बैग लेकर वो एक टहनी पर बैठ गया। नींद आ रही थी लेकिन उसको वो लड़की का चेहरा सामने आ रहा था। और डर था की अगर सो गया और निचे गिर गया तो लेने के देने पड जायेंगे। इसलिए आँखे फाड़ के उल्लू की तरह जग रहा था।

निचे खूंखार जंगली सूअर घूम रहे थे। अछा हुआ वो उपर था वरना क्या होता पता नहीं। थोड़ी देर बाद चिडियों की आवाज से समझ गया की अब सुबह होने वाली हैं। अब उसका डर थोडा कम हुआ। थोडा उजाला आते ही उसने वो लड़की का घर तलाश करने निकल गया। काफी दूर जाने के बाद एक घर दिखा। जरा पुराना सा था। नागेश ने देखा की अब सामने जंगल थोडा कम हैं। और थोडा सामने जाकर देखा तो बहोत दूर कुछ और भी घर दिख रहे थे। शायद कोई गाव था। वो वापस उसी घर की तरफ आया।

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बाहर से आवाज लगायी। कोई जवाब नहीं आया। उसने खिड़की से झांककर देखा। दीवाल पर कुछ फोटो थे पुराने। उसमे वो लड़की थी जो कल रात को मिली थी। उसने कहा था उसकी माँ भी यही रहती है। लेकिन वो तो कही दिखी नहीं।

नागेश के मन से वो लड़की भुली नहीं जा रही थी। वो उसी घर के बाहर उसका इंतेजार करते रुक गया। तभी कुछ भेड़ बकरिया लेके एक आदमी आया। नागेश ने उसको देख के उसको पास आते ही सवाल किया, “अरे भाई, तुम वो सामने वाले गाव से हो क्या?”

जंगल में सुनसान जगह पर एक आदमी देख कर वो बकरी वाला चौंक गया। उसने कहा, “साहब, आप कौन हो और यहाँ कैसे? रास्ता भूल गए क्या?”

नागेश ने कहा, “हा भाई, कल रात को यहाँ तक आ गया हाईवे से। यहाँ एक लड़की रहती है, मुझे उसके बारे में जानना था। क्या तुम जानते हो?”

“कहा? यहाँ, इस घर में? मैंने तो कभी नहीं देखा। मैं यहाँ आते रहता हु” बकरिवाला बोला।

नागेश को लगा शायद ये जानता नहीं इसलिए ऐसे बोल रहा है। उसके जाने के बाद नागेश ने वही रुक कर उस लड़की का इंतेजार करना बेहतर समझा। उसको बहोत भूक लग रही थी। लेकिन उस लड़की के सामने उसको और कुछ सूझ नहीं रहा था।

शाम होने को आयी। वो बकरिवाला वापस जाते हुए नागेश से मिलने आया। और पुछा, “साहब, कोई आया क्या? आप बेवजह रुके हुए हो। यहाँ कोई नहीं रहता।”

नागेश सोचने लगा की अगर यहाँ कोई नही रहता तो फिर वो कौन हैं जो फोटो में हैं? और मुझे यहाँ तक लेकर आयी। मुझे देखना हैं की वो है कौन? कुछ देर बाद रात भी हुई। इतनी देर से न वो लड़की आयी और ना ही उसकी माँ। अब नागेश से रहा नहीं गया। लेकिन वापस जाना मुश्किल था। इसलिए उसने वही के एक पेड़ का सहारा लिया और चढ़ के बैठ गया।

घना अँधेरा छाने लगा। वो सामने घर दिख रहा था। नागेश अब घर से जरा दूर था। बाहर उल्लू आवाज कर रहे थे। जरासी आवाज पर झट से गर्दन मुड जाती थी। खुद की साँस और धड़कन भी नागेश को अब महसूस होने लगी थी।

तभी अचानक सामने से सफ़ेद कपड़ों में वो लड़की आते हुए दिखी। उसको देख कर नागेश को बड़ा अच्छा लगा। चलो जिस बात के लिए वो कल से यहाँ बैठा है उससे मिलना तो हो जायेगा। वो अब उतरने की कोशिश कर रहा था पेड़ से के तभी उसकी नजर उसके साथ चल रहे एक और परछाईं की तरफ गयी। वो एक आदमी था। उसके पीछे पीछे चल रहा था। अब नागेश वही रुक गया। और ऊपर से सब देखने लगा।

वो लड़की ने घर का दरवाजा खोला। और अन्दर गयी। उसके बाद वो आदमी जैसे ही अन्दर गया उस आदमी की चींखे गूंजने लगी। वो तड़प रहा था, चिल्ला रहा था, “बचाओ, बचाओ…..मुझे छोड़ दो। मुझे माफ़ करो। मैंने तुम्हारा क्या बिघाडा हैं?”

नागेश इधर डर से काप रहा था। निचे उतरना अब वो भूल गया। कुछ देर बाद उस आदमी की चींखे बंद हो गयी। सब शांत हो गया। वो आदमी शायद मर चूका था ऐसे नागेश को लगा। वो वही पेड़ पर बैठा था।

नागेश सुबह का इंतेजार करने लगा। जैसे ही सुबह हुई वो पेड़ से उतरा। दरवाजे के बाहर तक खून बह रहा था। अन्दर जाकर देखने की हिम्मत नहीं थी। वो जहा रास्ता मिला उधर भागते चला गया। उसने अन्दर वो लड़की हैं या नहीं ये भी नहीं देखा।

भागते हुए कैसे तो उसको हाईवे मिल गया। और अपने घर तक पहुँच गया। उसके साथ जो हुआ वो जैसे ही बताने जा रहा था तो उसकी जबान नही चल रही थी। बोलना तो बहोत कुछ था लेकिन कुछ बोल नही पा रहा था। उसका मुह सिल चूका था। नागेश को दवाखाने भर्ती कराया गया और उसपे इलाज चालू हो गए। किसीको कुछ समझ नहीं आ रहा था की उसको हुआ क्या है? डॉक्टर ने उसको पागल करार दे कर पागलो की ट्रीटमेंट चालू कर दी।

इधर जंगल में वो बकरिवाला आज शाम को फिर से उस घर की तरफ आया। जानबूझ कर तस्सली करने। ये देखने की कल का आदमी है या नहीं।

बाहर खून बह रहा था। और अन्दर झाक कर देखा तो, वो भयंकर नजारा देख कर उसको भागना तक नसीब नही हुआ। वो लड़की अन्दर ही थी। वो आदमखोर बन चुकी थी। खून ही खून था। वो जानवरों जैसे, मरे हुए उस आदमी का मांस खा रही थी।

बकरिवाले के मुह से चीख निकली लेकिन वो आखरी बार थी। उसको देखते ही वो लड़की शैतान बन गयी। उसके सफ़ेद कपडे अब भयंकर लाल हो चुके थे। खून से लथपथ वो बकरिवाले की तरफ लपकी। उसने उस बकरिवाले को अन्दर खिंच लिया और उसको भी मौत के घाट उतार दिया।

अब काफी रात हो चुकी थी। जंगल सुनसान और खूंखार बन गया था। उस खुबसूरत लड़की के अंदर शैतानी आत्मा का राज तो सिर्फ नागेश जानता था| लेकिन अब वो पागल हो चूका था।

वो लड़की अपने सफ़ेद लिबास में घर से बाहर निकली और अपने शिकार की तलाश में हाईवे की तरफ चली गयी।

(नोट- दी गई कहानी काल्पनिक है, इसका किसी भी जीवित या निर्जीव वस्तु से कोई संबंध नहीं है। हमारा उद्देश्य अंधश्रद्धा फैलाना नहीं है। यह केवल मनोरंजन के उद्देश्य से बनायी गयी है।)

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4 Comments on “आखरी बस | मौत का सफ़र”

    1. आपको हमारी लिखी कहानी पसंद आई, आपका बोहोत धन्यवाद।

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