shor

शोर । अधूरे सपनो की कविता

ऐ खुदा!!! आज पूछता हु तुझे,
मेरे मन में ये कैसा शोर हैं?
दिल आज भी भटकता हैं,
जैसे मेरी मंजिल कही और हैं।

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