हमारा समाज हमेशा से येही कहते आया है की जो भी भावनाए होती है वो किसी औरत की होती है। जैसे की आदमी को मन दिया ही न हो।भले वो अपनी भावनाओ को हमेशा दबाके रखता हैं लेकिन उसे भी तो मन होता हैं।
और मन किसीका भी हो वो किसी कोने में भावनाओ से भरा होता हैं। अपने बच्चो के लिए,माँ बाप के लिए, अपनी बीवी,बहेन के लिए।
एहसास …… ये कविता इसी बात की गवाही देती हैं की जब किसी बाप का दिल अपने बच्चे के लिए धड़कता है …..तो क्या कहता हैं?
मेरे घर आते ही,
तुम्हारा खिल के मुस्कुराना।
किसी कोने से मुझे,
झांक कर देखना।
छोटी सी बात पर,
युही मुरझा जाना।
मेरे करीब आकर,
गले से लग जाना।
सुकून मिलता हैं,
तुम्हारी धड़कन सुनकर।
खुद को जिन्दा मानता हु,
तुम्हे हँसते देख कर।
जरासी चोंट लगे तुम्हे,
तो घबराहट सी होती है।
पलको पे बिठा लू तुम्हे,
मेरा दिल कहता हैं।
आज एहसास हुआ की,
पिताजी क्या होते हैं।
अपने ख्वाब दिल में रखते हैं,
और बच्चो के सजाते है।