हौसला- एक प्रेरक कविता | Motivational Poem on Courage In Hindi

hosla ek prerak kavita in hindi

हम इन्सान कभी बहोत कमजोर हो जाते हैं। बेबस और लाचार हो जाते हैं अपने जीवन से।

तब जिंदगी सवारने के लिए कोई हौसला,कोई सहारा मिल जाये तो एक नया मोड़ ले लेती हैं

ये जिंदगी।

उस नयी जिंदगी के लिए …..जरुरी हैं…….

गिर के संभलना सिख,
बिखर के उठना सिख।
खोने के बाद ,एहमियत सिख,
रोने के बाद ,हसना सिख।

अगर गिरना खुदको हैं,
और गिरकर उठना भी खुद हैं।
तो इतना सोचना कैसा?
दुनिया तो चार बातें करेंगी ही।

तेरा रास्ता कठिन हैं,
और तय करना खुद हैं।
इसलिए, दुनिया की तू फ़िक्र ना कर,
तेरी तकलीफों का जिक्र ना कर।

जब सारे रास्तें बंद होने लगे,
दिल,दिमाग पर हावी होने लगे।
ये बात हमेशा याद रख,
चिंगारी तुझमे भी हैं,बस सुलगाने की देरी हैं।

सोचते हैं की दुनिया में कुछ ही कर सकते हैं,
ऐसे कुछ….. सोचने वालो के लिए कर ऐसा।
तेरे हौसलों में तू इतनी ताकद भर दे,
की हर कोई बनना चाहे तेरे जैसा।

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