कोई कभी कितना खास बन जाता है ,लेकिन हम उसको ये जता नहीं सकते ,तब कभी फुर्सत से लिखी हुई बात उस तक पहुचानी पड़ती हैं…की तुम मेरे लिए क्या हो…..
तुम मेरे लिए क्या हो,
ये तुम जानते नहीं।
जिक्र सारे जहा से हैं,
लेकिन तुम्हे इसकी कोई फिक्र नहीं।
एक फुल हो तुम मेरे लिए,
प्यार से सजाया हैं बालों में।
जैसे कोई ख्वाब बसाया आँखों में,
और महकता रहे मेरी सांसो में।
युही खिलती रहना तुम,
मेरे मन के आँगन में।
सींचता रहूँगा प्यार से सदा,
चाहे पतझड़ आये मेरे जीवन में।
तुम फुल हो मेरे बगियन का,
किसी को छूने न दूंगा।
ये दिल जो तुम को दे दिया है,
किसी और को ना दूंगा।
देख भरोसा करता हु,
तेरे इकरार पे।
गुरुर हो तुम मेरा,
लड़ जाऊंगा सारे संसार से।