माँ की उम्मीद पर हिंदी कविता
माँ की उम्मीद पर हिंदी कविता – मन में उसकी मूरत उतर चुकी थी,
एक माँ की उम्मीद अब सच हो चुकी थी।
उसको गोद में लेकर के वो,
आज लोरियां गा रही थी।
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माँ की उम्मीद पर हिंदी कविता – मन में उसकी मूरत उतर चुकी थी,
एक माँ की उम्मीद अब सच हो चुकी थी।
उसको गोद में लेकर के वो,
आज लोरियां गा रही थी।
आज एहसास हुआ की,
पिताजी क्या होते हैं।
अपने ख्वाब दिल में रखते हैं,
और बच्चो के सजाते है।
सारी कहानिया यही सिखाती,
दुःख में ना टूट और सुख में ना इतरा।
संस्कार है ये बचपन के,
किस्से है नानी की कहानी के।
मेरा देश मुझे पुकारे,
होशियार हो दुश्मन तू।
सरहद संभाल खड़ा है,
भारत माँ का सैनिक हु।
हाथ हातों में लेके,
चलना था।
दुनियां की रंगत,
तुम्हारे साथ देख लेते।
अगर तुम रुक जातें तो…
घर के बरामदे में,
जहा रखा था कुछ सामान।
वही पड़ा था धुल में,
वो संदूक पुराना सा।
तुम्हे याद है? वो बचपन के दिन,
जब हम सब साथ में हुआ करते थे।
झमाझम बारिश में हाथ हाथों में लेकें,
गाँव की गलियों में घुमा करते थे।
कभी किलकारियां गूंज उठती थी,
रोज कानोमें जगाने को।
आज शाम भी दस्तक नहीं देती,
बत्तियां लगाने को।
गली के उस कोने से आवाज आयी,
सुना है किसी के नाम की चिट्ठी आयी।
मन मोर बन के नाचने लगे,
लगा जैसे बिन बादल बरसात आयी।
सुना है किसी के नाम की चिट्ठी आयी।
तुम्हारा गुलशन होना,
हमें ये है सिखाता,
जिंदगी भले ही बेरंग हो,
गुलमोहर जरुर है खिलता।