माँ की उम्मीद पर हिंदी कविता

maa ki ummid1

माँ बनना किसी औरत के लिए कितना खास होता है ये उसके सिवा कोई नहीं समझ सकता। और जब महीनो और साल बित जाते हैं और बच्चे की आस में जिंदगी तरसने लगे तो उस बेचारी पे क्या बितती है वो लब्जो में बया करना मुश्किल हैं।

और अचानक ..एक ख़ुशी उनके घर दस्तक देती हैं..

सब कुछ बदल जाता हैं…ज़िन्दगी जीने की एक किरण दिखने लग जाती है।

उसी बात को दर्शाती …

वक़्त जैसे रुक सा गया था,
एक उम्मीद जो अब टूटने लगी थी।
एक आस जो जीवन में बची हुई थी,
शायद अब उसको भूल जाना था।

संभाल के रखा था उसने वो मलमल,
सोचा टुकड़ों से रजाई बनाएगी।
लोरी गातें गुनगुनातें हुए,
उसको पालने में सुलायेगी।

आंसू भी जैसे सुख गए थे,
लब्जो बिना ही वो एक दूजे को समझाते थे।
अकेला ही है अपना जीना,
यही समझ के चलते थे।

लेकिन वो भी तो औरत थी,
कहा हार मानने वाली थी।
झोली न रहेगी उसकी खाली सदा,
यही भरोसा रखे जीती थी।

और अचानक जैसे सावन आया,
रिमझिम बारिश वो लेकर आया।
आशा की किरण मन में जागी,
उसके आने की लगन लागी।

मन में उसकी मूरत उतर चुकी थी,
एक माँ की उम्मीद अब सच हो चुकी थी।
उसको गोद में लेकर के वो,
आज लोरियां गा रही थी।

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