रिमझिम सावन पर कविता | Best Hindi Poem On Sawan

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बारिश…..ऐसे कितने पहलु हैं इस बारिश के और सावन के। हमेश एक नया अंदाज। अगर गौर से देखो तो पता चले की ये सावन ही हैं जो सबको बहोत ललचाता हैं। बहोत तडपता हैं और राह देखने को मजबूर करता हैं।

और जब आता हैं तो दिल खोल के बरसता हैं। तन-मन जब भीग जाते हैं तो सावन के आने की मुबारक बात तो बनती हैं………हैं ना?

घनघोर बादल भागे,
घुमड़ घुमड़ कर नाचने को।
लख-लख करती बिजली आयी,
साथ में हाँथ देने को।

ऊँचे पत्थरों की चोंटी से,
दौड़ती भागती बारिश आयी।
छन छन करती पायल जैसे,
नन्ही परी पहनके आयी।

झर झर करते झरने बने,
हवा संग बाते करने लगे।
रुखी सुकी नदियों से,
कल कल पानी बहने लगे।

छोटी नदी बही आंगन में,
उस पे तैरती कागज की नाव।
बिन मांझी के ढूंढे किनारा,
उसपे रखो न कोई पाँव।

धुप की चिलचिलाहट से,
मिली राहत सबको।
खिलखिलाता गुनगुनाता,
मुबारक हो सावन सबको।

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