Tum nahi ho

तुम नहीं हो- एक दर्द भरी दास्ताँ

तुम नहीं हो मेरी जिंदगी में,
लेकिन एक आस लगाये बैठे है।
कभी तो वो मोड़ पे तुम फिर से मिलोगी,
ये शमा दिल में सुलगाये बैठे हैं।

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वो अजनबी मुलाकात | एक अनजान दोस्ती पर कविता

डूबते हुए सूरज को,
शायद मैं रोक लेती।
वो अजनबी मुलाकात,
कभी खत्म ना होती।

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तुम रुक जातें तो – सपनों की अधूरी दास्तान

हाथ हातों में लेके,
चलना था।
दुनियां की रंगत,
तुम्हारे साथ देख लेते।
अगर तुम रुक जातें तो…

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