तुम नहीं हो- एक दर्द भरी दास्ताँ

Tum nahi ho

कैसे हैं ना? हम चाहकर भी किसीको अपनी जिंदगी में रोक नहीं सकते। जब तक वो खुद न चाहे। जब हम किसी को दिल से चाहते हो और वो हमें अकेला छोड़ कर चला जाता हैं तो….वो दर्द …

दिल यह गाने पर मजबूर होता हैं।

तुम नहीं हो मेरी जिंदगी में,
लेकिन एक आस लगाये बैठे है।
कभी तो वो मोड़ पे तुम फिर से मिलोगी,
ये शमा दिल में सुलगाये बैठे हैं।

एक गुलिस्ता सजाया था,
मैंने दिल के आंगन में।
तेरी आने की चाहत में,
यादों का शहर सजाये बैठे हैं।

अब आंसू भी जैसे सुख चुके हैं,
गम के रेगिस्तान में।
तुम आओगी,बारिश बन के मेरे जीवन में,
ये झूठी चाहत बनाये बैठे हैं।

मिल जाये मौत मुझे,
अगर, हो दुआ कबुल मेरी।
दिल में सजाया था अपनी शादी का सेहरा,
अब अपनी अर्थी सजाये बैठे हैं।

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