मेरा पुराना इश्क| Ek Ashiq Ki Gujarish

mera purana ishq

कभी याद आता हैं वो गुजरा जमाना, वो ख़त लिखना और उसका बेसब्री से इंतजार करना। तब कहा ये मोबाइल फ़ोन थे। वो एहसास कही खो गया है आज। कभी लगता हैं, मेरे यारो वो पुराना इश्क ही सच्चा था, उसी की चाहत में लिखा ये नगमा ,

पुराने इश्क के लिए……..

मेरा पुराना इश्क चाहता हु।

किताबों में छुपी चिठियों को,
मैं आज फिर से पढ़ना चाहता हु।
रात भर जाग कर ,
उसका जवाब देना चाहता हु।

मेरा पुराना इश्क चाहता हु।

वो पहली मुलाकात चाहता हु,
क्लास के बहाने तुम्हे देखना चाहता हु।
तुम्हारी खुशबू का दीवाना मैं,
तुमसे मांगी किताबो से ,आशिकी करना चाहता हु।

मेरा पुराना इश्क चाहता हु।

तुमसे युही अचानक मिलना चाहता हु,
होंटो पे आयी बात को ,बदलना चाहता हु।
जब आये उस गली का मोड़,
वहा घंटो बैठकर ,तुम्हारी राह तकना चाहता हु।

मेरा पुराना इश्क चाहता हु।

तुमसे चोरी छुपे मिलना चाहता हु,
हाँथ हांथो में लेकर चलना चाहता हु।
अपने भाई और पिता के डर से,
हिम्मत कर मिलाने आये, वो प्रेमिका चाहता हु।

हाँ! मेरा पुराना इश्क चाहता हु।

शायद दबा सा,डरा सा सही,
लेकिन सच्चा हमदर्द चाहता हु।
हाँ! मैं आज भी मुहब्बत,
पुराने ज़माने वाली चाहता हु।

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