बड़े बुजुर्ग कह गए हैं की अमावस की काली रात को हो सके तो बाहर नहीं जाना चाहिए। रात को शैतानी काले साये बहोत ज्यादा ताकदवर हो जाते हैं। वो शैतानी आत्माए इंसानी दुनिया मे आकर परेशांन कर सकते हैं। कभी कोई अधूरी इच्छा रही हो तो वो पूरी करने वो तड़पती आत्माए इंसानी शरीर ढूंडती हैं। अमावस मतलब उन पिशाच और आत्माओ के लिए कोई त्यौहार होता हैं। वो बहोत ताकतवर हो जाते हैं। अपनी इच्छा पूर्ति के लिए शिकार ढूंडते हैं।
ये कहानी सुनी-सुनाई है।
सिल्वाड गाव में चेतन नाम का लड़का था। उसको अभी अभी शहर के अस्पताल के ऑफिस में क्लर्क की जॉब लगी थी। घरवाले बहोत खुश थे। ख़ुशी में उन्होंने चेतन को नयी बाइक लेकर दी। वो अपनी बाइक से ही अब ऑफिस जाने लगा था। शहर आधे घंटे की दुरी पर था।
जॉब लगे अब कुछ ही महीने हो गए की घरवालों ने उसके लिए लड़की देखना चालू किया। ये बात जब चेतन को पता चली तो उसने कहा, “अरे माँ, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता। इतनी जल्दी भी क्या हैं? मुझे और अच्छा जॉब मिलेगा तब देखेंगे। अभी मुझे पैसे कमाना हैं, आपको घुमाना हैं।”
उसकी ये बाते सुन के चेतन के पिताजी को भी बड़ा अच्छा लगा। उनका लड़का उनके बारे में सोचता तो हैं। नहीं तो आजकल के लड़के अपने माँ बाप को पूछते भी नहीं।
चेतन अच्छा लड्का था। भले ही वो दोस्तों के साथ घूमता लेकिन कभी शराब को हाँथ नहीं लगाया। घरवालों में और बस्ती में भी उसकी बड़ी इज्जत थी।
जॉब मिलके एक साल होने को आया था चेतन को। उसने दिवाली के लिए सबके लिए कपडे और मिठाई खरीदी। आज ऑफिस से जल्दी छुट्टी मिली। तो वो मार्केट घूम रहा था अपने दोस्तों के साथ।
दोस्तों, आप सभी को ये बात पता होगी की दिवाली में अमावास की रात होती हैं। इसीलिए हमारे बुजुर्ग कहते थे की घर में और आँगन में दिये जलाओ और अँधेरे को भागाओ।
चेतन घर के लिए निकला। साथ में सामान था। वो सब गाड़ी पर बांध कर निकल पड़ा। रात के ९ बज चुके थे। त्यौहार था तो सब अपने घरों में थे। आज रास्ता सुना था। बाहर घना अँधेरा था। शहर खत्म होते ही चेतन की नजर बाजु के बिल्डिंग पे गयी। निचे बहोत से लोग दिए लगा रहे थे। उसकी नजर ऊपर की तरफ गयी। वहां एक सफ़ेद सलवार में बहोत ही सुंदर लड़की दिखाई दी। चेतन उसको देखते ही उसकी गाड़ी के ब्रेक्स लग गए।
गाड़ी रुकी और चेतन जैसे थम सा गया। जादू भरी थी उसकी नजर और उसका चेहरा। चेतन तो बस उसको देख कर मन में मुस्कुरा रहा था। उसकी नजर उस लड़की से हट ही नहीं रही थी। तभी पीछे से एक ट्रक ने हॉर्न दिया।
“पो…..ममम…….”
चेतन जैसे नींद से जाग गया। उसने अपनी गाड़ी बाजु में की और फिर से ऊपर देखा। लेकिन अब वो लड़की वहा नहीं थी।
चलो, कल देखते हैं। ऐसे खुद को समझा कर वो घर की तरफ निकल पड़ा।
उसको जाते हुए वो लड़की ऊपर की छत से देख रही थी।
चेतन घर पंहुचा। उसने घरवालो के लिए जो भी कपडे लाये थे वो बाँट दिए। मिठाई भी खिलाई। खाना खाकर वो अपने रूम में जाकर सोने की कोशिश करने लगा। आज उसको इतना थका होने पर भी नींद नहीं आ रही थी।उस लड़की का चेहरा बार बार उसके नजर के सामने आ रहा था। वो उसको भुला नहीं पा रहा था। सुबह का इंतज़ार करते हुए कब उसकी आँख लग गयी पता नही चला।
सुबह नाश्ता करके चेतन ने अपना टिफिन लिया और ऑफिस के लिए निकल पड़ा। शहर पहुचते ही वो उसी बिल्डिंग के पास से गुजरा। ऊपर देखा। लेकिन वो खिड़की बंद थी। वहा कोई नहीं था। थोडा निराश हो कर अपने काम पर निकल गया।
शाम को घर लौटते वक़्त आज वो उसी बिल्डिंग के पास चुपके से खड़ा था। वो लड़की आज फिर से वाहा ऊपर नजर आयी। अब चेतन ने उसको देखा और उसने भी। चेतन ने अपना हाँथ दिखाया और उसने भी। बस फिर क्या था। चेतन ने उसको निचे आने को कहा। लेकिन उस लड़की ने मना किया। और अन्दर चली गयी।
चेतन जरा सा निराश हुआ लेकिन उसने लड़की को हँसते हुए देखा था। अपनी बात बन सकती है ये सोच के मन में ही वो बहोत खुश हो रहा था।
अमावास का काला अँधेरा उसके लिए क्या लेकर आने वाला था इस बात की चेतन को कोई खबर नहीं थी। अगली शाम जब चेतन उसी रास्ते जा रहा था। वो लड़की उसको सामने एक पेड़ के पास बैठकर दिखी।
चेतन बहोत खुश हो गया। अपनी गाड़ी साइड में लगा कर वो उस लड़की के पास गया।
“मेरा नाम चेतन हैं। और तुम्हारा?”
“मेरा नाम निशा हैं” लड़की ने जवाब दिया।
“लेकिन तुम आज यहाँ कैसे? इतने अँधेरे में अकेले” चेतन ने सवाल किया।
“मैं अकेले नहीं आती तो तुमसे मुलाकात कैसे होती?” निशा के इस जवाब से चेतन ये तो समझ गया की उसको भी वो पसंद था।
अब रोज शाम को देर रात तक वो दोनों उसी पेड़ के निचे बैठ कर बाते करने लगे। घरवाले थोडा टेंशन में थे की आजकल चेतन बहोत देर से घर आने लगा था। खाना भी साथ नहीं खाता था। या कभी बिना खाए ही सो जाता था।
एक दिन चेतन उस पेड़ के निचे बैठा था। उसके घर के पास वाले अंकल वहा से गुजरे। चेतन को देखते ही कहा,
“अरे चेतन बेटे! यहाँ अँधेरे में अकेले क्या कर रहे हो? घर जाना नहीं है क्या? चलो घर वाले तुम्हारा इंतज़ार कर रहे होंगे।”
“हां अंकल। हा बस निकल ही रहा था।” ऐसा कहकर दोनों साथ में निकल गए।
घर जाकर जब चेतन सोने के लिए गया। एकदम से वो अंकल की बात उसको याद आयी। उन्होंने उसको अकेले क्या कर रहे हो ऐसा कहा था।
दुसरे रात जब वो निशा से मिला तो उसने ये बात उसको पूछी, “निशा, कल तुम मेरे साथ थी। लेकिन अंकल को दिखी कैसे नहीं?”
निशा ने कुछ सोच के जवाब दिया, “अरे ,वो अंकल दिखते ही मैं पेड़ के पीछे छुप गयी थी।”
तभी चेतन ने कहा, “निशा,हम शादी कर ले? मुझे तुमसे प्यार हो गया हैं। क्या तुम भी?”
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निशा उठ कर चली गयी। जाते वक़्त उसने हाँ कहा।
अब वो लड़की चेतन के घर तक पहुच गयी। देर रात तक उनका बाते करना चलने लगा था। और चेतन खाना पीना जैसे भूल गया था। वो बहोत कमजोर हो रहा था।
उसकी माँ ने एक रात देखा के वो दीवार की तरफ देख कर बाते कर रहा है। बस उसको उसी दिन शक हुआ की उसके लड़के को कुछ हुआ है। उसने ये बात चेतन के पिता को बताई।
दोने ने एक रात चेतन का पीछा किया।
चेतन वही पेड़ के निचे बैठा था। अकेला। और बाते कर रहा था।
चेतन के माता पिता बहोत डर गए। उन्होंने जैसे ही घर का रुख किया, वो शैतानी रूह बहोत ही भयंकर और डरावने अवतार में उनके सामने प्रकट हुई।
“ही…हा…हा…… मैं तेरे बेटे को लेने आयी हु। मेरे रास्ते में कोई ना आना। नहीं तो अच्छा नहीं होगा। आने वाली अमावास को वो मेरा हो जायेगा।”
घर पहुँचते ही बाजु वाले अंकल ने उनका रोना सुना। वो मदत के लिए आये। उन्होंने भी बताया की चेतन एक रात वहां उस पेड़ के निचे अकेला बैठा था।
सुबह होते ही जब चेतन अपने ऑफिस गया तब उसके पिताजी और वो अंकल उस पेड़ के पास एक मान्त्रिक को ले गए।
मान्त्रिक बोला, “यहाँ कोई बहोत ही शैतानी रूह मौजूद हैं। वो अपना अधूरा काम पूरा करने आई हैं। कोई अधूरी इच्छा। आपके लड़के की जान को धोखा है साहब। क्यों की अब अमावस आने वाली हैं। और ऐसे शैतान अमावस में बहोत ताकतवर हो जाते हैं।”
उन्होंने बाजु में उसी घर में जाकर पूछताछ की जहा निशा चेतन को पहली बार दिखी थी। तो पता चला की उनके बुल्डिंग के ऊपर के घर में एक किरायेदार रहते थे। उनकी लड़की यहाँ पेड़ के पास एक्सीडेंट में मारी गयी थी। उसकी शादी के एक दिन पहले ही वो मर गयी थी।
अब मान्त्रिक को सब समझ आ गया। वो शैतानी रूह अपनी अधूरी इच्छा पूरी करने आई थी।
दूसरी रात अमावस की रात थी।
बाहर बहोत घना अँधेरा था। वो मान्त्रिक और चेतन के माता पिता उस पेड़ के पास पहुचकर दूर से चेतन को देखने लगे। काफी वक़्त तक चेतन एक ही जगह पर बैठा था। उसने दुल्हे का लिबास पहना था। आज वो दोनों शादी करने वाले थे। वो डायन उसको आज लेकर जाने वाली थी। अपनी दुनियां में।
मान्त्रिक ने अपने मंत्र पढ़ना चालू किया लेकिन …….
देर हो चुकी थी।
सामने से जब जाकर देखा तो चेतन मर चूका था। उसके गले से खून टपक रहा था।
निशा ने अपनी आखरी इच्छा पूरी की, चेतन की जान लेकर।
(नोट- दी गई कहानी काल्पनिक है, इसका किसी भी जीवित या निर्जीव वस्तु से कोई संबंध नहीं है। हमारा उद्देश्य अंधश्रद्धा फैलाना नहीं है। यह केवल मनोरंजन के उद्देश्य से बनायी गयी है।)