आशिको का क्या कहना?वो अपने दिलरुबा की तारीफ करने से कहा भला चुकते है।
अरे भाई,अगर हुस्न और इश्क दोनों आपस में मिल जाये तो आशिक की क्या बिसाद की वो अपने मेह्बूब की तारीफ न करे।
किसी आशिक का अपने मेहबूब के लिए दिल से लिखा नजराना।
आँचल हवा में लहरा के,
मेरे मेहबूब का चलना।
जैसे लहरों पे कश्ती का,
सागर से मिलना।
चेहेरे पे तुम्हारी,
लटों का गिरना।
जैसे सूरज का,
अचानक घटाओं में छिपना।
उजले माथे पे,
सजती है बिंदिया।
जैसे चमकते तारे का,
टिमटिमाते रहना।
बादामी होंठो पर,
हलकी सी मुस्कान।
जैसे खिलती कलियों का,
चमन हो गुलजार।
भूरी सी आँखों में,
काजल का किनारा।
जैसे पलकों पे बसी,
शाम का डेरा।
तारीफ भी क्या करू,
ऐ मेरे मेहबूब।
हुस्न भी तू है,
और इश्क भी तू।