कुछ ख्वाब सजाये तो जाते हैं गुलशन दुनियां के लिए,पर जरुरी नहीं की वो सब पुरे हो।सब आशाएं धरी की धरी रह जाती है,और मिलती है ख़ामोशी और रुसवायी।
फिर भी ये दिल एक आस में जीता है।और सपने पिरोता है।
वोही सपनों की अधूरी सी दास्ता……
हाथ हातों में लेके,
चलना था।
दुनियां की रंगत,
तुम्हारे साथ देख लेते।
अगर तुम रुक जातें तो…
डगर हैं मुश्किल,
कर लेते सामना तुफानो से।
तुम बस सहारा देते,
तो दुनियां से लढ जातें।
अगर तुम रुक जातें तो….
सोचा साथ जिंदगी का,
मिला तोहफा रुसवायी का।
रेत का घरोंदा भी,
हम दिल से सजातें।
अगर तुम रुक जातें तो….
कोई चिट्टी थी तुम्हारी,
ना पढ़ के भी हम समझे।
आज गुजारिश आँखों ने की,
शायद तुम समझ जातें।
अगर तुम रुक जातें तो….