होस्टल – “मिहिका बेटा जल्दी उठो तुम्हे तयारी करनी है न आज। अरे आज तुम्हे अपने नये कॉलेज जाना हैं। जल्दी तयारी करो।” मिहिका की माँ किचेन से आवाज लगा रहा थी।
मिहिका एक बहोत ही होशियार लड़की हैं। उसने अपने दम पर एग्जाम पास किया और वो भी बिना एक्स्ट्रा खर्चा किये, यानि कोई भी ट्यूशन लगाये बिना। यही बात घर में सबको पसंद थी मिहिका की। सबकी चहिती बेटी है वो। मिहिका ने अपनी सारी चीजे बैग में भर ली थी। उसके चाचू ऑटो लाने के लिए गए थे। बाहर से चाचू ने आवाज लगायी, “अरे छोटी, तयारी हुई की नहीं। ऑटो आ गया है।” चाचू मिहिका को छोटी के नाम से बुलाते थे। सब सामान केकर मिहिका और उसकी माँ निचे आ गए थे। ऑटो में मिहिका के साथ उसके चाचू रेलवे स्टेशन चले गए। वहा से शहर का रास्ता कुछ घंटे भर का था।
मिहिका का एडमिशन शहर के बड़े से कॉलेज में हो गया था। उसको होस्टल भी मिल गया था। बाहर रूम लेके रहना उसको एक्स्ट्रा खर्चा लग रहा था सो वो नहीं किया था। मिहिका जल्दी से कॉलेज के गेट से अन्दर गयी और सीधा अपने होस्टेल की तरफ पहुची। वहां बहोत भीड़ थी। लेकिन सबको रूम्स मिलने वाले थे तो कोई टेंशन नहीं था। आखरी में मिहिका का नाम लिया गया। उसको एक रूम मिला लेकिन उसकी साथ वाली लड़की ने वहां जाने से मना किया। पूछने पर बिना बोले ही चली गयी वो। वार्डन ने मिहिका को आवाज लगायी। और कहा, “देखो बेटा, एक ही रूम है और वहां कोई दूसरी लड़की तुम्हारे साथ रुकना नहीं चाहती। अगर तुम्हे वो चाहिए तो मैं वो तुम्हे दे सकती हु। अगर बाद में कोई लड़की आयेगी तो मैं उसको तुम्हारे रूम में शिफ्ट करवा दूंगी। लेकिन तब तक तुम्हे अकेले रूम में रहना होगा। बोलो मंजूर है तो यहाँ निचे अपना नाम और पता और फ़ोन नंबर दे देना।”
मिहिका वैसे छोटे शहर से थी उसको किसी बात का डर नहीं था। उसने तुरंत हा कहा और अपनी सारी जानकारी वहां भर दी। वार्डन ने उसको रूम की चाबी दे दी और कहा की कुछ भी तकलीफ हो तो मुझे आकर बोले। वार्डन मैडम निचे के कमरे में रहती थी। वैसे बोलने में वो काफी अच्छी लगी।
मिहिका ने अपना सामान उठाया और और अपने रूम की तरफ जाने लगी। उसके बगल में सभी रूम थे तो उसको कोई परेशानी नहीं लग रही थी। रूम अन्दर से काफी साफ सुथरी थी। वो रूम दो लोगो के लिए थी। दो बेड और अलमारी। उसने अपना सामान रूम में एक जगह रख दिया और फ्रेश होने चली गयी। फिर आने के बाद अपने बेड पे लेट गयी। दिन भर की थकन से उसको नींद आ रही थी। सोचा की चलो घर में बात कर लिया जाये। उसने मोबाइल उठाया और घर में फ़ोन लगाया।
“हेल्लो माँ, मैं पहुच गयी। रूम भी मिल गया। कोई परेशानी नहीं। तुम चिंता मत करो।” ऐसे बोल के मिहिका ने फ़ोन रख दिया। अब वो थोड़ी देर सोना चाहती थी। नींद में उसको पता ही नहीं चला की रात के आठ बज गए है। वार्डन ने बताया की खाने का समय रात को सात से नौ बजे तक ही है। वो जल्दी से तयार होकर निचे चली गयी। खाने के बाद थोडा टीवी देखा और सभी लडकिया अपने रूम में चली गयी। मिहिका की कोई दोस्त बनी नहीं थी तो वो भी अपने रूम में चली गयी। सुबह कॉलेज जाना था इस लिए उसने मोबाइल में अलार्म लगाया था। सुबह आठ बजे का। और वो सो गयी।
सुबह के दस बज चुके थे। अलार्म होने वाला था लेकिन वो बजा ही नहीं। एक अजीब सी हलचल हो रही थी उसके रूम में जैसे किसीकी मौजूदगी हो वहाँ। इन सब से अनजान मिहिका अभी भी सो रही थी। सभी लडकिया कॉलेज चली गयी। वार्डन ने होस्टल में एक राउंड मारा। देखा की मिहिका का दरवाजा अंदर से बंद हैं। उसने बाहर से आवाज लगायी, “कॉलेज नहीं जाना क्या? यहाँ सोने के लिए आयी हो क्या?” आवाज सुनते ही मिहिका की आँख खुल गयी। उसने दरवाजा खोला। “मैडम अभी मैं उठाने ही वाली थी। अभी तो आठ बजने के हैं न?” मिहिका ने जवाब दिया। वार्डन जरा हँस कर बोली, “बेटा, जरा अपनी घडी देखना तो कितने बजे है।” मिहिका ने अपना मोबाइल उठाया देखा की दस बज चुके थे। उसको समझ नहीं आया कैसे।
वार्डन वहां से चली गयी और मिहिका अपना मोबाइल चेक करने लगी। अलार्म हुआ कैसे नहीं और मैं इतनी देर तक कैसे सो रही थी। यही सवाल को सोचते वो कॉलेज गयी। वहां जाकर उसकी क्लास में काफी लोगो से जान पहचान हुई। कुछ तो उसके शहर से थे जो अलग जगह पर रहते थे। उसको थोडा अच्छा लगा। वो सब से बातें कर के उन्ही के साथ उन्ही के रूम पे चली गयी। वो सब लडकिया उसकी पुराने कॉलेज की दोस्त निकली इसलिए वो उन्ही के रूम पे रूक गयी उस रात को। वैसे वार्डन मैडम को मिहिका ने कॉल कर के बता दिया था। रूम पे खूब मस्ती करने के बाद अपने दोस्तों के साथ मिहिका दुसरे दिन कॉलेज चली गयी। वहां से सीधा अपने होस्टल दोपहर को पहुची। खाना खाया और अपनी पढाई की तयारी करने लगी।
एकदम से उसको याद आया की वो घर से पेन लाना भूल गयी थी और अब उसके पास कोई पेन नहीं है। वो अपने रूम का दरवाजा थोडा सटाके निचे कार्नर के दुकान में चली गयी। वहां जाकर उसने अपने लिए पेन और कुछ खाने का सामान लिया जैसे की चिप्स के पैकेट्स और चोकलेट्स। वहां से वो सीधा रूम में चली गयी। लेकिन रूम का दरवाजा खुला हुआ था। उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और पढाई करने लगी। शाम का खाना खाने के बाद भी वो काफी देर तक पढ़ रही थी। फिर नींद आयी तो वो सोने की तय्यारी करने लगी।
कुछ आधी रात में उसने करवट बदली होगी। और जैसे ही उसकी आँख खुली वैसे उसके मुह से चींख निकली। वो बहोत डर गयी थी। उसने सामने वाले बेड पे किसी लड़की को सोते हुए देखा था। और वो उसकी तरफ ही देख रही थी। मिहिका जोर से चिल्लाने लगी। वार्डन ने जैसे आवाज सुनी वो दौड़ के ऊपर आयी। साथ में बगल वाले रूम की लडकिया भी खड़ी थी। उन्होंने बाहर से आवाज लगायी, “ दरवाजा खोलो …क्या हुआ?”
मिहिका ने दरवाजा खोला और बाहर दौड़ के आ गयी। “मैडम, रूम में कोई हैं। मैंने अभी वहां किसीको देखा। कोई लड़की थी। मुझे बहोत डर लग रहा है।”
वार्डन ने अन्दर जाके देखा और कहा, “यहाँ तो कोई नहीं है। कोई सपना देखा होगा तुमने। बेकार में हल्ला मचाया। चलो जाके सो जाओ।”
मिहिका सच में बहोत डर गयी थी। लेकिन सब लडकिया उसपे हँस रही थी इसलिए हिम्मत दिखाते हुए वो भी रूम के अन्दर चली गयी। और सोने की कोशिश कर रही थी। उसकी आँख कब लगी पाता नही चला।
दुसरे दिन कॉलेज ख़त्म होने के बाद वो रूम पे आयी तो दरवाजा आज भी खुला था। अंदर एक लड़की थी। उसी बेड पे जिसपे कल देखा था। वो अपना सामान लगा रही थी। अब मिहिका को थोडा अछा लगने लगा। उसको पार्टनर मिल गयी थी। उसको हिम्मत आ गयी। चलो वार्डन ने किसी को तो भेज दिया इस बात से खुश थी वो।
फ्रेश होने के बाद मिहिका उस लड़की से बोलने के लिए गयी तो वो सोके थी। उसने उसको सोने देना ही ठीक समझा। और वो पढाई में लग गयी। शाम को खाने के लिए उसने उस लड़की को उठाना चाहां लेकिन वो लड़की बिना बोले ही बाहर चली गयी। मिहिका को अजीब लगा लेकिन उसने ज्यादा टेंशन नहीं लिया। निचे खाने के टेबल पे भी वो गुमसुम सी बैठी थी। खाना खाके सब रूम्स में लौट आये। मिहिका भी आ गई। अब उसने सोचा की उस लड़की से बात तो करनी ही है। लेकिन मिहिका के जाने से पहले वो जाके रूम में सो गयी।
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मिहिका थोड़ी नाराज होकर सो गयी। आधी रात का पहर होगा , अचानक टेबल के जोर से गिरने की आवाज आयी। सुनते ही मिहिका की नींद खुल गयी और वो जोर जोर से चीखने लगी.. “आ…..आ……बचाओ ……वार्डन मैडम……..।
बगल वाली लड़की टेबल पर खड़ी होकर पंखे से फासी लगाकर झूल रही थी। मिहिका जैसे कांप रही थी। उसका चिल्लाना चालू था। वो दरवाजा खोल के बाहर भागी। वार्डन ने रास्ते में उसको पकड़ा।
“क्या हुआ मिहिका? आज भी क्या शोर है ये? वार्डन ने डाटते हुए कहा।
“मैडम, मेरी रूम मेट ने फासी लगा ली है चलो जल्दी” मिहिका ने घबराते हुए कहा।
वार्डन अब साथ में भागती हुई गयी। देखा के रूम में तो कोई नहीं है। सब कुछ सही जगह पर है। अब उसको घुस्सा आया। उसने मिहिका को वार्निंग दे डाली। “ मिहिका, ऐसे तुम सब को परेशांन करोगी तो मुझे तुम्हे होस्टल से निकालना होगा। बेकार में हल्ला मचाकर सबकी नींद ख़राब करती हो तुम।”
“नहीं मैडम मैं सच बोल रही हु। मेरे रूम में कोई लड़की कल दोपहर से थी। मेरा यकींन करो मैडम” मिहिका रोते हुए बोली।
वार्डन मिहिका को निचे लेकर गयी। उसने अपने रजिस्टर निकाले। उसके रूम का पेज निकाला। उसपे एक ही नाम था। और वो था मिहिका का। वार्डन ने कहा, “ उस रूम में सिर्फ तुम ही रहती हो बेटा और कोई नहीं।” मिहिका अब और भी डर गयी थी। सोचने लगी की जिसको देखा था वो क्या था? कोई भूत या साया या कोई भटकती आत्मा? लेकिन वार्डन के सामने कुछ बोल नहीं पाई। उसको मजबूर होकर रूम में जाना पड़ा। अब उसने अपने रूम का दरवाजा खुला रखा और सोने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसको नींद नहीं आयी।
सुबह कॉलेज जाकर अपने दोस्तों से वो सब किस्सा बता रही थी। उसके दोस्तों ने उसको हिम्मत दी और कहा की डरो नहीं। तुम्हारा वहम होगा। ज्यादा सोचो मत। लेकिन मिहिका को पता था ये उसका वहम नहीं था।
शाम होने को थी। खाना खाकर मिहिका रूम में आयी और पढाई करने लगी। उसका मन नहीं लग रहा था। फिर सोने की कोशिश करने लगी। नींद लगती और थोड़ी देर बाद कल रात वाली बात से नींद खुल जाती। रात के करीब एक बज रहे थे। उसकी आंख खुली और वो लड़की फिर से दिखना चालू हो गयी। वो अपने बेड पे बैठी थी। मिहिका ने उससे बात करनी चाही लेकिन वो बहोत ही ज्यादा घुस्से से मिहिका की तरफ देखने लगी। उसकी लाल डरावनी आंखे देख के मिहिका के मुह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।
वो लड़की धीरे धीरे मिहिका की तरफ आ रही थी। और उसने मिहिका से कहा, “ख़बरदार ! अगर मेरे बारे में बाहर किसी को बताया तो। अंजाम ठीक नहीं होगा।” उसका भयंकर रूप देख के मिहिका रोने लगी,गिडगिडाने लगी, “मुझे छोड़ दो। मैं तुम्हारे बारे में किसीसे कुछ नहीं कहूँगी।” लेकिन थोड़ी देर में मिहिका को दिल का दौरा पड गया और उसकी की मौत हो गयी।
सुबह जब वार्डन ने दोपहर के बाद भी मिहिका को कमरे से बाहर नहीं देखा तो वो उसके कमरे के पास पहुंच गई। दरवाजा सिर्फ सटाके था। उसने जैसे ही दरवाजा खोला, रूम के अंदर का नजारा देख वार्डन की चीखें निकली और वो वही बेहोश हो गयी। मिहिका की बॉडी पंखे से लटक रही थी।बाजु की लडकिया भी चिल्लाने लगी।
पुलिस ने आकर रिपोर्ट दर्ज की और वार्डन को अस्पताल पहुचाया। पूछताछ हुई लेकिन कुछ हाथ नहीं आया। इतनी होशियार लड़की आत्महत्या कैसे कर सकती है? यही सवाल सब कर रहे थे।
वार्डन ने यह जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए वह नौकरी छोड़ दी। उसको मिहिका की मौत का बड़ा अफ़सोस हुआ। मिहिका के घरवाले भी सदमे में थे।
कई दिनों तक उस रूम में कोई रहने नहीं आया। वार्डन भी अब नयी आ गयी। लेकिन उस रूम के बारे में सब को सवाल थे, जवाब किसी के पास नहीं था।
कुछ साल भर के बाद …………
उस होस्टल के रूम में एक नयी स्टूडेंट रहने आयी। इस हादसे के बाद वह कोई लड़की रहना नहीं चाहती थी। उस रूम के पास के भी रूम खली थे। लेकिन एक दिन एक लड़की का एडमिशन हुआ कॉलेज में और वार्डन ने उसी रूम की चाबी दे दी। उसका नाम निशा था। रूम देख के वो बहोत खुश हो गयी। अपना सामान रख कर बाहर घूम के आयी तो देखा की उसके पास वाले बेड पे कोई लड़की सो रही थी। उसने हाथ लगा कर उठाने की कोशिश की और पूछा, “कौन हो तुम। कौनसी क्लास में हो? क्या नाम है तुम्हारा?”
उसने जवाब दिया …. “मिहिका”….
(नोट- दी गई कहानी काल्पनिक है, इसका किसी भी जीवित या निर्जीव वस्तु से कोई संबंध नहीं है। हमारा उद्देश्य अंधश्रद्धा फैलाना नहीं है। यह केवल मनोरंजन के उद्देश्य से बनायी गयी है।)