कॉलेज के वो दिन …..वाह…..क्या दिन थे। वो दिन जैसे हवा की तरह उड़ के चले गए। पता ही नहीं चला कब कॉलेज का आखरी दिन आ गया। हँसते खेलते अब हम जुदा होने वाले थे…और सबसे यही कहने वाले थे…..
आज कॉलेज का आखरी दिन था,
हमेशा की मस्ती आज नहीं थी।
जहां हर दिन कदम खुद मुडते थे,
वो कॉलेज आज हमसे छूटने वाला था।
आज कुछ दिल बेक़रार थे,
कुछ तो आज टूटने वाले थे।
कोई करने वाले थे इकरार,
तो कोई करने वाला था बस….इन्तेजार।
कैंटीन की वो धमाल,
बैक बेंच की शैतानियाँ।
एक दुसरे की बैग्स को बांधना,
और ऑफ क्लास में गाना बजाना।
मस्ती के ये दिन याद आएंगे,
वो हसीन लम्हे आज रुलायेंगे।
कल की जुदाई के लिए,
आज सभी एक दूजे से मिलेंगे।
विदा होकर हम कल यहाँ से चले जायेंगे,
क्या पता कभी मील पाएंगे?
जहाँ भी जायेंगे, यहाँ की यादों को,
अपने दिल में सजायेंगे।