सबसे मनचला होता है हमारा दिल। जैसे कोई परिंदा अस्मानी।
कभी यहाँ तो कभी वहा।हजार ख्वाहिशो को अपने अन्दर लिए घूमते रहता है।
अपने दिल को जो ज़वा रख सका वही सही में जिंदगी को जी सका है।
एक बचपना,हर एक के दिल में होता है।
उसी को शब्दों में पिरोया है।
दूर कही बादलों पे,
हों बसेरा मेरा।
साराँ जहा खोजता फिरू,
कहें दिल परिंदा मेरा।
हवा संग उडता हु,
पानी सा बहता हु।
कभी न रोकना मुझे,
कहें दिल परिंदा मेरा।
रोज फिरू चारों दिशाओं में,
गीत गाता हूँ आज़ादी का।
सुरों के तार छेड़ता चले,
यह दिल परिंदा मेरा।
मन से आगे भागू,
करू पीछा परछाई का।
किसी को नजर न आऊ,
कहे दिल परिंदा मेरा।
कहे दिल परिंदा मेरा।