हम कभी कोइ कहानी सुनते है और उसका अंत पता न चले तो कुछ अधुरा सा लगता है।
प्यार की कहानिया भी कुछ इसी तरह की होती है। कहना तो बहोत कुछ होता है पर,हिम्मत जुट नहीं पाती। और कहानी अधूरी ही रह जाती है।
ऐसे ही कुछ किस्से…अधूरी सी कहानी के…
कभी लिखना था,
वो बोझल शाम के लिए।
जो आती है किसी की याद लिए,
जो कभी भूली नहीं जाती।
वो चिट्टी है अलमारी में,
जिसमे हिम्मत से लिखा इज़हार।
सीने से लगा के घुमाते रहे,
पर तुम्हे दे न सके।
संभाल के रखा था,
तुमसे मिली यादों को।
कभी मौका मिले तो,
करू तुम्हारे हवाले जज्बातों को।
कहानी अधूरी सही मेरी,
पर किस्से हजार है।
बेपनाह प्यार जो किया था,
सारे दोस्त जो गवाह है।
Awesome 👍
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