बनाना चाहता हूँ,
एक यादों की दीवार..
जहा पे हो,
लम्हे हजार।
कुछ मस्ती की ,
कुछ जुदाई की दास्ताँ..
वक़्त को ठहराते,
पल हो वहाँ।
बीते पलों को..
जा के रोज मै मीलू,
रह गया कुछ बाकि,
उनको में खूब जी लूँ।
फुर्सत के पल हो,
सामने आइना यादों का..
ऐसी कोई दीवार से बना लू,
घर सपनो का।
यादों की दीवार…

Osm….
धन्यवाद। आपका बोहोत स्वागत है। पढ़ते रहिए।
Very nice 💖💖… I loved this poem a lot,❣️
धन्यवाद। आपका बोहोत स्वागत है। पढ़ते रहिए।
Beautiful lines!!
Way to go Snehal😊
Thanks a lot! Keep reading and supporting!
Very nice……