ऐ जिंदगी,तू कभी धुप तो कभी छाव है।ख़ुशी में तो,तू खिल जाती है।पर दुःख में क्यू मुरझा सी जाती है?
मेरी एक गुजारिश है तुझसे जिंदगी,तू खिलती रहे,मुस्कुराती रहे…..गुलमोहर की तरहा।
तपती धुप में,
गहरी छाव को,
फूलों से सजाया,
जैसे सहेरा चढ़ाया।
रंगों को उड़ाके,
उसका आँचल बनाया,
सुनहरे किरणों का,
साज बनाया।
बेजान से मौसम में,
रूखे से रास्तों को,
डोली की तरह,
रंगों में ढाला।
तुम्हारा गुलशन होना,
हमें ये है सिखाता,
जिंदगी भले ही बेरंग हो,
गुलमोहर जरुर है खिलता।
Beautiful…..